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गर्मी के मौसम में अत्यधिक तापमान के कारण मक्षियों के छत्ते में मोम के पिघलने का संकट उत्पन्न हो सकता है, किंतु यह लघु कीड़ा अपनी सूझबूझ के कारण अपने निवास स्थान को विध्वंस से बचा लेता है। यह प्रक्रिया इस प्रकार होती है कि गर्मी के दिनों में समस्त श्रमिक मखियाँ छत्ते के प्रत्येक कोश के किनारों पर इस प्रकार स्थित होती हैं कि उनके पंख कोशों से बाहर रहते हैं। तत्पश्चात, पंखों की तीव्र गति से हवा का संचार किया जाता है, जिससे वायुदाब में परिवर्तन उत्पन्न होता है और ठंडी हवा अंदर भेजी जाती है, जिससे तापमान में गिरावट आती है और मखियों के निवास स्थान को अत्यधिक गर्मी से सुरक्षा प्राप्त होती है। परमेश्वर ने मखियों को यह विशिष्ट क्षमता प्रदान की है कि वे ऐसे फूलों का रस नहीं चूसती, जो रोगजनक या विषैला हो। यह सदैव ऐसे फूलों का चयन करती है, जिनसे पृथ्वी से पोषक तत्वों से भरपूर, स्वास्थ्यवर्धक रस प्राप्त होता है। यही कारण है कि शहद अनेकों रोगों का उपचार प्रदान करता है।
ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी
कलंदर शऊर
अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर।
जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर।
तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है,
इन दो-चार सांसों (nafas) की उम्र को व्यर्थ मत कर।
(क़लंदर बाबा औलिया)