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रंगीन किरणों



जब दृष्टि की सीमा से पृथ्वी की ओर निगाह डालते हैं, तो हमें आकाश में नीले रंग की अनगिनत रंगीन रोशनियाँ दिखाई देती हैं। यह दृश्य, जिसमें रंगों की एक भिन्नता उत्पन्न होती है, रोशनी, ऑक्सीजन गैस, नाइट्रोजन गैस, और कुछ अन्य गेसों के मिश्रण से उत्पन्न होता है। इन गैसों के साथ-साथ वातावरण में उपस्थित कुछ छायाएँ भी इस रंग-भेद में योगदान देती हैं। इन गैसों और तत्वों का संयोजन आकाशीय रंग को प्रभावित करता है, जिससे फिजिकल वातावरण का एक विशिष्ट रंग अनुभव होता है।

यह स्वीकार करना आवश्यक है कि आकाश में रंगों का परिलक्षित होना केवल दृश्य संवेग नहीं है, बल्कि यह एक विस्तृत कणिकीय प्रक्रिया का परिणाम है। यह प्रक्रिया आकाशीय कणों के आपसी परस्पर क्रिया से उत्पन्न होती है, जहाँ प्रत्येक कण अपने विशेष गुणधर्म के आधार पर रंगों का प्रसार करता है। इस संदर्भ में, हमारे दृष्टिकोण में रोशनी और रंगों का परिप्रेक्ष्य समझने के लिए भौतिक विज्ञान के सिद्धांत आवश्यक होते हैं, जो प्राकृतिक कणों, जैसे कि फोटॉन, के गुणधर्मों पर आधारित हैं।

इस प्रक्रिया में, सबसे महत्वपूर्ण कण "फोटॉन" है, जो सूर्य से पृथ्वी तक पहुँचने वाली किरणों का आधार है। एक फोटॉन के पास स्थान नहीं होता, इसलिए वह केवल अन्य फोटॉनों से टकराता नहीं है, बल्कि वह प्रत्येक कण के साथ स्वतंत्र रूप से व्याप्त होता है। इसका मतलब यह है कि इन कणों की यात्रा में एक प्रकार की भौतिक निर्बाधता रहती है, जो इनकी गति को निरंतर बनाए रखती है।

फोटॉनों की यह प्रक्रिया तब और अधिक जटिल हो जाती है जब ये वायुमंडल के अन्य तत्वों से टकराती हैं। जब फोटॉन का किसी तत्व से टकराव होता है, तो वह स्थान ग्रहण करता है और उससे उत्पन्न होने वाला रंग भी उस तत्व की प्रकृति के अनुरूप होता है। यह रंगों का विविधीकरण वायुमंडल में एक प्रकार की उपस्थिति उत्पन्न करता है, जो जीवों की मानसिक और शारीरिक प्रक्रियाओं पर प्रभाव डालता है।

यहाँ तक कि यह विचार करना भी महत्वपूर्ण है कि जब हम "रंगों के वितरण" की बात करते हैं, तो यह केवल फोटॉनों के आपसी संवाद का परिणाम नहीं है, बल्कि यह उन धारा-मण्डलों का परिणाम है, जो स्वयं फोटॉनों से बनते हैं। जब फोटॉनों का इन धारा-मण्डलों से टकराव होता है, तो स्थान, रंग और अन्य दृश्य तत्व उत्पन्न होते हैं, जो ब्रह्मांडीय दृश्यता को प्रभावित करते हैं। यह संपूर्ण प्रक्रिया एक सुसंगत भौतिक प्रणाली के रूप में कार्य करती है, जो आकाशीय रंगों की विविधता को संभव बनाती है।

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कलंदर शऊर(Qalandar Shaoor)

ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी

कलंदर शऊर

 

अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर।
जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर।
तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है,
इन दो-चार सांसों  (nafas)  की उम्र को व्यर्थ मत कर।

 

(क़लंदर बाबा औलिया)