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ऑस्ट्रेलिया का पक्षी कीवी अपने
आहार की प्राप्ति के लिए जो विधि अपनाता है, वह अत्यंत
विशिष्ट है।
जब पर्याप्त प्रयासों के पश्चात
भी शिकार उपलब्ध नहीं होता, तो यह ऐसी ध्वनि उत्पन्न करता है जो वर्षा
की ध्वनि के समान प्रतीत होती है। पृथ्वी के भीतर स्थित कीट-पतंगे यह मानकर कि
वर्षा हो रही है, सतह पर आ जाते हैं और कीवी के आहार में
परिवर्तित हो जाते हैं।
ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी
कलंदर शऊर
अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर।
जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर।
तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है,
इन दो-चार सांसों (nafas) की उम्र को व्यर्थ मत कर।
(क़लंदर बाबा औलिया)