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लोमड़ी अपनी चतुराई और कपट के
कारण प्रसिद्ध है। जब उसे सहजता से शिकार नहीं मिलता, तो वह अपनी चालाकी का प्रदर्शन करने के लिए एक विशेष रणनीति अपनाती है। वह
अपने शरीर को ढीला छोड़कर भूमि पर लेट जाती है और गहरी सांस लेकर पेट को फुला लेती
है। इस अवस्था में, पक्षी उसे मृत समझकर अपनी आहार बनाने के
लिए उसके पास आते हैं। परंतु, इससे पूर्व कि पक्षी उसे अपना
शिकार बना सकें, वह स्वयं उन पक्षियों को अपनी आहार बना लेती
है।
ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी
कलंदर शऊर
अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर।
जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर।
तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है,
इन दो-चार सांसों (nafas) की उम्र को व्यर्थ मत कर।
(क़लंदर बाबा औलिया)