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ऑक्सीजन और शारीरिक तंत्र



वर्तमान वैज्ञानिक और चिकित्सा अनुसंधान ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि मानव शरीर को कुछ समय के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होती, तो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करने वाले खरबों कोशिकाओं का क्रियाकलाप रुक जाता है। सम्पूर्ण जीवित शरीर का अस्तित्व ऑक्सीजन पर निर्भर करता है, और श्वसन प्रक्रिया या वायु का प्रवाह निरंतर ऑक्सीजन के अवशोषण में संलग्न रहता है।

वायु नथुने (या मुँह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करती है और स्वरयंत्र (Larynx) से गुजरते हुए श्वासनलिका (Trachea) में जाती है। इसके पश्चात, यह एक सूक्ष्म नलिका तंत्र में प्रवेश करती है, जहाँ जैसे-जैसे वायु का दबाव बढ़ता है, इन नलिकाओं का व्यास क्रमशः घटता जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से वायु फेफड़ों के गहरे क्षेत्रों में पहुँचती है, जहाँ तीन सौ मिलियन से भी अधिक वायु थैलियाँ स्थित होती हैं। इन थैलियों के माध्यम से ऑक्सीजन रक्तवाहिकाओं में प्रवेश कर जाती है।

जब वायु का दबाव और ऑक्सीजन की मात्रा सही होती है, तो यह आसानी से इन वायु थैलियों और सूक्ष्म रक्तवाहिकाओं से होकर शरीर में फैल जाती है। श्वसन प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य शरीर में उचित मात्रा में ऑक्सीजन का प्रवाह बनाए रखना है, ताकि कोशिकाओं में ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रक्रिया निर्बाध रूप से चलती रहे, और साथ ही कार्बन डाइऑक्साइड (CO) का उत्सर्जन होता रहे।

जब व्यक्ति विश्राम की स्थिति में होता है, तो वह एक मिनट में औसतन दस से सोलह बार श्वास ग्रहण करता है, और प्रत्येक श्वास में लगभग एक प्वाइंट (point) वायु शरीर में प्रवेश करती है। शारीरिक परिश्रम या ऑक्सीजन की बढ़ी हुई आवश्यकता की स्थिति में, श्वसन की गति में स्वतः वृद्धि हो जाती है। सामान्यत: श्वास की गति और उसकी गहराई को मस्तिष्क स्वतः नियंत्रित करता है, ताकि शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार श्वसन प्रक्रिया में समायोजन हो सके।

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कलंदर शऊर(Qalandar Shaoor)

ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी

कलंदर शऊर

 

अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर।
जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर।
तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है,
इन दो-चार सांसों  (nafas)  की उम्र को व्यर्थ मत कर।

 

(क़लंदर बाबा औलिया)