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बिजली की खोज से पहले


हमारे सामने "बया" नामक एक पक्षी है, जो आकार में चिड़िया से भी छोटा है। बया का घोंसला एक संपूर्ण विज्ञान, एक सुव्यवस्थित नक्शा, और गहन योजना का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस गुम्बदाकार लटकते हुए घोंसले में विभिन्न कक्ष (कमरे), सोने के लिए बिस्तर, और बच्चों के झूलने के लिए झूला शामिल होता है। यह छोटा पक्षी इतनी बुद्धिमत्ता और समझ रखता है कि अपने घोंसले को प्रकाशमान रखने के लिए जुगनू (Glowworm) को पकड़ लेता है। जुगनू की प्राकृतिक चमक से घोंसले के अंदर प्रकाश व्यवस्था होती है। इस प्रकार, यह सूक्ष्म पक्षी बिजली (Electricity) के आविष्कार से पहले ही इसके विज्ञान से परिचित था और पीढ़ी दर पीढ़ी जुगनुओं का उपयोग प्रकाश स्रोत (Bulbs) के रूप में करता रहा है।

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कलंदर शऊर(Qalandar Shaoor)

ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी

कलंदर शऊर

 

अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर।
जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर।
तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है,
इन दो-चार सांसों  (nafas)  की उम्र को व्यर्थ मत कर।

 

(क़लंदर बाबा औलिया)