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यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि किरणों
में ये वलय कैसे निर्मित होते हैं। ज्ञात है कि हमारे आकाशगंगाई तंत्र में अनेक तारे,
अर्थात् सूर्य, विभिन्न स्थानों से प्रकाश का संचार करते हैं। इन तारों के मध्यवर्ती दूरी कम से
कम पाँच प्रकाशवर्ष होती है। जब इन तारों की रोशनियाँ आपस में टकराती हैं,
तो यह टक्कर प्रकाश के वलय निर्माण का कारण बनती है,
जैसा कि हमारे पृथ्वी या अन्य ग्रहों में होता है। इसका अर्थ
यह हुआ कि सूर्य या अन्य तारे, जिनकी संख्या हमारे आकाशगंगाई तंत्र में दो खरब के आसपास मानी जाती है,
उनके द्वारा उत्सर्जित किरणों का मिलाजुला प्रभाव संख्याओं के
रूप में होता है। जब इन रोशनियों का आपसी टकराव होता है,
तब एक वलय का निर्माण होता है,
जिसे ग्रह कहा जाता है।
ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी
कलंदर शऊर
अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर।
जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर।
तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है,
इन दो-चार सांसों (nafas) की उम्र को व्यर्थ मत कर।
(क़लंदर बाबा औलिया)