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चींटियों की एक किस्म होती है, जो अधिकतर जंगलों में रहती हैं और वृक्षों पर निवास करती हैं। इनके श्रमिक अत्यधिक कौशल से पत्तों का कोकून बनाकर उसमें अंडों से निकलने वाले लार्वा को सुरक्षित रखते हैं, ताकि ये पक्षियों के हमलों से बच सकें। ये चींटियाँ सिलाई करने में इतनी निपुण होती हैं कि इनकी जोड़ियाँ किसी विशेषज्ञ दरज़ी के काम की तरह दिखती हैं।
ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी
कलंदर शऊर
अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर।
जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर।
तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है,
इन दो-चार सांसों (nafas) की उम्र को व्यर्थ मत कर।
(क़लंदर बाबा औलिया)