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नबियों और आध्यात्मिक शक्तियों वाले मनुष्यों के असंख्य अनुभव इस बात के प्रमाण हैं कि पूरे ब्रह्मांड (ब्रह्मांड) में एक ही अवचेतन सक्रिय है। इसके माध्यम से गुप्त और प्रकट (ग़ैब व शहूद) की प्रत्येक तरंग दूसरी तरंग के अर्थों को समझती है। चाहे ये दोनों तरंगें
ब्रह्मांड (ब्रह्मांड) के दो छोरों पर स्थित हों। ग़ैब व शहूद की दूरदृष्टि और
अर्थवत्ता ब्रह्मांड (ब्रह्मांड) की जीवन-शिरा है। हम इस जीवन-शिरा में, जो स्वयं हमारी अपनी जीवन-शिरा भी है, चिंतन और
ध्यान देकर अपने ग्रह और दूसरे ग्रहों के चिह्नों और परिस्थितियों का अनावरण कर
सकते हैं। मनुष्यों और पशुओं की कल्पनाएँ, जिन्नों और
फ़रिश्तों (फ़रिश्तों) की गतिशीलता और स्थिरता, वनस्पतियों
और निर्जीव पदार्थों की आंतरिक गतिविधियों को जान सकते हैं।
लगातार ध्यान देने से ज़ेहन ब्रह्मांडीय अवचेतन में विलीन हो जाता है और हमारे अस्तित्व की कृत्रिम परत, अना की पकड़ से मुक्त होकर, आवश्यकता के अनुसार हर चीज़ को देखता, समझता और ज़ेहन में सुरक्षित कर देता है।
ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी
कलंदर शऊर
अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर।
जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर।
तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है,
इन दो-चार सांसों (nafas) की उम्र को व्यर्थ मत कर।
(क़लंदर बाबा औलिया)