Topics

साठ रुपये



ईद के चाँद को देखने के पश्चात बच्चों को ईदी देने के संबंध में विचार उत्पन्न हुआ और मैं अपने मित्र के पास कुछ रुपये उधार लेने के लिए गया। मित्र ने मुझसे कहा कि रुपये तो उसके पास मौजूद हैं, लेकिन वे किसी और की अमानत हैं। मेरी मानसिकता ने इस बात को स्वीकार नहीं किया कि मैं अपने मित्र को उसकी अमानत में विश्वासघात करने का दोषी ठहराऊँ। वहाँ से चलते हुए मैं बाज़ार में चला गया। वहाँ मुझे एक अन्य मित्र मिले, जिन्होंने मुझसे अत्यंत अच्छे तरीके से व्यवहार किया और प्रस्ताव रखा कि यदि आपको ईद के अवसर पर रुपये या धन की आवश्यकता हो, तो कृपया निःसंकोच ले लीजिए। किंतु मैंने उनकी इस पेशकश को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा, "साहब! मैंने आपसे पहले कुछ रुपये उधार लिए थे। अब मैं उन्हें चुकता करना चाहता हूँ।" और उन्होंने मेरी जेब में साठ रुपये डाल दिए। मैं घर वापस आया और उन साठ रुपयों से ईद की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति कर ली।

इस घटना में जो सबसे अधिक ध्यान देने योग्य बात है, वह यह है कि मैंने अपने मित्र से तीस रुपये उधार लेने के लिए कदम बढ़ाया था, किंतु परमेश्वर ने मुझे इतने रुपये दे दिए जो मेरी आवश्यकता के लिए पर्याप्त थे। यह स्पष्ट है कि यदि तीस रुपये उधार के रूप में मिल जाते तो मेरी आवश्यकता पूरी नहीं हो पाती। मैंने केवल दो घटनाएँ प्रस्तुत की हैं, इस प्रकार की अनगिनत घटनाएँ मेरे जीवन में घटित होती रही हैं।

Topics


कलंदर शऊर(Qalandar Shaoor)

ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी

कलंदर शऊर

 

अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर।
जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर।
तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है,
इन दो-चार सांसों  (nafas)  की उम्र को व्यर्थ मत कर।

 

(क़लंदर बाबा औलिया)