Topics

विकास के गोदाम



सांस साधना के माध्यम से चेतना और शारीरिक प्रणाली में शक्ति का संचार होता है, ठीक उसी प्रकार आरोही सांस के माध्यम से मानव की आत्मा में ऐसे दिव्य ऊर्जा के भंडार संचित होते हैं, जो व्यक्ति को मात्र कल्पना (FICTION) और संदेहात्मक इंद्रियों से बाहर निकालकर वास्तविक और अदृश्य संसार (ग़ैब की दुनिया) में प्रवेश कराते हैं। सांस साधना के द्वारा व्यक्ति के भीतर इन छह विशिष्ट भंडारों का संचित होना प्रारंभ होता है, जो ऊर्जा, प्रकाश और शक्ति से परिपूर्ण होते हैं। ये भंडार आत्मा के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित होते हैं, और इनमें एकत्रित प्रकाश के रंग विभिन्न प्रकार के होते हैं।

प्रथम भंडार में पीले रंग का प्रकाश, दूसरे में लाल रंग, तीसरे में सफेद रंग, चौथे में हरा रंग, पांचवे में नीला रंग, और छठे में बैंगनी रंग का प्रकाश संचित होता है। इन रंगों के संयोजन से अनेक अन्य रंग उत्पन्न होते हैं। ये रंग वास्तव में जीवन में कार्यात्मक भावनाओं के प्रतीक होते हैं, जो व्यक्तित्व की आंतरिक संरचना और उसकी सक्रियता को व्यक्त करते हैं।

Topics


कलंदर शऊर(Qalandar Shaoor)

ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी

कलंदर शऊर

 

अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर।
जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर।
तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है,
इन दो-चार सांसों  (nafas)  की उम्र को व्यर्थ मत कर।

 

(क़लंदर बाबा औलिया)