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चींटियों की एक विशिष्ट जाति "शहद की चींटी" (Honey Ant) होती है, जो फूलों का रस अपने पेट में संचित करती है और बाद में अपनी वासस्थली में उलटी लटक जाती है। अन्य चींटियाँ, विशेष रूप से रानी और उसके संतान, इस रस को चाटकर पोषित होती हैं, और यह असाधारण प्राणी बलिदान और आत्मीयता की अभिव्यक्ति के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखती है, जब तक कि शहद समाप्त न हो जाए।
ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी
कलंदर शऊर
अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर।
जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर।
तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है,
इन दो-चार सांसों (nafas) की उम्र को व्यर्थ मत कर।
(क़लंदर बाबा औलिया)