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परमेश्वर का दिव्य प्रकट(तजली)



प्रक्षिप्त चित्र पर एक चलचित्र अस्तित्वमान है। यह चलचित्र तब तक परदर्शित नहीं होता जब तक कि उसे कोई ऊर्जा प्रदान न की जाए। लो़ह महफूज़ (सुरक्षित पट्टिका) पर प्रदर्शित होने वाला चलचित्र वह दिव्य ऊर्जा है, जिसे परमेश्वर के दिव्य प्रकट ने सक्रिय किया है। इस दिव्य प्रकट का प्रतिबिंब प्रत्यक्ष रूप से चक्र (लतीफ़ा अख़फी) पर पड़ता है। इसका अभिप्राय यह है कि जब कोई साधक अपने भीतर स्थित चक्र (लतीफ़ा अख़फी) को पहचानता है या उसे तात्त्विक रूप से अनुभव करता है, तो वह वास्तव में परमेश्वर के दिव्य प्रकट का साक्षात्कार करता है। इस स्थिति में उसे यह ज्ञान प्राप्त होता है कि "कुन" के शब्द से पूर्व अस्तित्व की दुनिया की स्थिति क्या थी और "कुन" के उपरांत ब्रह्मांड की संरचना और वास्तविकता का स्वरूप क्या है।


 

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कलंदर शऊर(Qalandar Shaoor)

ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी

कलंदर शऊर

 

अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर।
जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर।
तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है,
इन दो-चार सांसों  (nafas)  की उम्र को व्यर्थ मत कर।

 

(क़लंदर बाबा औलिया)