Topics

ब्रह्मांड पर शासन



परमेश्वर का कथन है, "मैं तुम्हारी रग-ए-जान से भी निकट हूँ।" रग-ए-जान, जो एक ग़ैबी तत्व है, मानव अस्तित्व के भीतर समाहित है। यह संकेत करता है कि मानव के अंतर्निहित अस्तित्व में एक ऐसी शक्ति या आधार है, जिसे जीवन की मूलभूत स्थिति (BASE) माना जाता है। यदि यह तत्व अनुपस्थित हो, तो जीवन का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। जब साधक अपनी रग-ए-जान के वास्तविक स्वरूप को पहचानता है, तो उसके भीतर परमेश्वर के निकट होने की अनुभूति जागृत होती है और वह आत्मिक रूप से स्वयं को परमेश्वर के समीप अनुभव करता है। इस अनुभव के साथ वह परमेश्वर की वास्तविक पहचान प्राप्त करता है। परमेश्वर की पहचान के लिए स्व-आत्मा की पहचान अनिवार्य है। स्व-आत्मा की पहचान दरअसल ब्रह्मांड (kainat) के रहस्यों का ज्ञान और समझ प्राप्त करना है। ब्रह्मांड के रहस्यों में परिपूर्णता से समझ विकसित करने के बाद ही व्यक्ति ब्रह्मांड पर पूर्णतया शासन करने में सक्षम होता है। यह शासन केवल बाहरी दुनिया पर ही नहीं, बल्कि उस सूक्ष्म सत्ता पर भी होता है, जो प्रत्येक अस्तित्व की शुद्धता और उद्देश्य का निर्धारण करती है। जिस प्रकार एक व्यक्ति जब इस सत्ता को समझता है, तो वह परमेश्वर का खलीफा और प्रतिनिधि बन जाता है।

आध्यात्मिकता केवल एक क्रियात्मक प्रक्रिया या विशेष मंत्र जाप करने तक सीमित नहीं है। आध्यात्मिकता का वास्तविक उद्देश्य और तात्पर्य यह है कि व्यक्ति अपने आंतरिक (INNER) सत्य को पहचान कर, उस सत्य के साथ अपने अस्तित्व को जोड़कर जीवन की पूर्णता को समझे।

Topics


कलंदर शऊर(Qalandar Shaoor)

ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी

कलंदर शऊर

 

अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर।
जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर।
तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है,
इन दो-चार सांसों  (nafas)  की उम्र को व्यर्थ मत कर।

 

(क़लंदर बाबा औलिया)