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हीन भावना इच्छाशक्ति की कमजोरी से उत्पन्न होती है। जब यह
समझा जाता है कि हम किसी व्यक्ति के सामने नहीं जा सकते, बात नहीं कर सकते, हम अन्य लोगों से हीन
हैं या अन्य लोग हमसे हीन हैं—ये सभी बातें कमजोर इच्छाशक्ति को दर्शाती हैं।
विचारधारा सही हो या गलत, दोनों का संबंध मस्तिष्क के उन
कोशिकाओं से है जो जीवन में कार्यरत रहने वाली भावनाओं को उत्पन्न करती हैं। और
भावनाएँ मनुष्य की इच्छाशक्ति के अधीन होती हैं। इसीलिए जब किसी व्यक्ति के भीतर
भावनाएँ उसकी इच्छा के अधीन नहीं रहतीं, तो उसके जीवन में एक
शून्यता उत्पन्न हो जाती है। यही शून्यता, दबाव के रूप में,
हीन भावना के रूप में प्रकट होती है।
अत्यंत सरल और सहज उपाय यह है कि मनुष्य हर समय वुज़ू
(अभिषेक) की स्थिति में रहे। वुज़ू में इस बात की सावधानी आवश्यक है कि प्राकृतिक
शारीरिक प्रक्रियाओं, जैसे मल-मूत्र
त्याग या वायु-त्याग, को न रोका जाए, क्योंकि
इससे भी मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है। आवश्यकता पड़ने पर पुनः वुज़ू कर लेना चाहिए।
रोहानी इलाज-आध्यात्मिक चिकित्सा(Roohani ilaj)
ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी
समर्पण
हज़ूर सरवर-ए-ब्रह्मांड
(P.B.U.H.) की सेवा में
संदेह और अनिश्चितता के तूफ़ान से उत्पन्न लगभग दो सौ
बीमारियों और समस्याओं को एकत्र कर इस पुस्तक में उनका समाधान प्रस्तुत किया जा
रहा है।
पुस्तक "रूहानी इलाज" में जितने भी
रोगों के उपचार और समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए गए हैं, वे सभी मुझे सिलसिला ओवैसिया, कलंदरिया, अज़ीमिया से
स्थानांतरित हुए हैं, और इस फ़क़ीर ने इन समस्त आमलियात
की ज़कात अदा की है।
मैं ब्रह्मांड की सृष्टि के लिए इस रूहानी कृपा को
सामान्य करता हूँ और सैय्यदुना हज़ूर (P.U.H.B.) के माध्यम से प्रार्थना करता हूँ कि अल्लाह तआला मेरी
इस कोशिश को स्वीकार्यता प्रदान करें, अपने भक्तों को
स्वास्थ्य प्रदान करें, और उन्हें कठिनाइयों, संकटों और परेशानियों से सुरक्षित रखें।
आमीन, सुम्मा आमीन।