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एक स्वच्छ सूती वस्त्र (रूमाल) पर
بِسّمِ اللّهِ
الرَّحْمـَنِ الرَّحِيمِ
رَ ضَیْنَا بِا
الْقَضَیْنَا فَاتُوْ بُرْھَا نْ اَلْفَ مَرَّۃٍ
(Raḍīnā bi-al-qaḍainā faātū burhān alfa marratan)
निम्नलिखित इबारत का उच्चारण कर फूँक दें और उसमें गिरह बाँध दें: इस वस्त्र को मस्तिष्क पर इस प्रकार बाँधें कि गिरह कनपटी के समीप स्थित हो। यदि पीड़ा दीर्घकालिक हो, तो इस प्रक्रिया को प्रातःकाल बाँधकर रात्रि में शयन से पूर्व अल्प अवधि हेतु खोलकर पुनः बाँध दें। यह क्रम आवश्यकतानुसार निरंतर जारी रखें। वुज़ू या स्नान के समय इसे खोलने में कोई बाधा नहीं।
रोहानी इलाज-आध्यात्मिक चिकित्सा(Roohani ilaj)
ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी
समर्पण
हज़ूर सरवर-ए-ब्रह्मांड
(P.B.U.H.) की सेवा में
संदेह और अनिश्चितता के तूफ़ान से उत्पन्न लगभग दो सौ
बीमारियों और समस्याओं को एकत्र कर इस पुस्तक में उनका समाधान प्रस्तुत किया जा
रहा है।
पुस्तक "रूहानी इलाज" में जितने भी
रोगों के उपचार और समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए गए हैं, वे सभी मुझे सिलसिला ओवैसिया, कलंदरिया, अज़ीमिया से
स्थानांतरित हुए हैं, और इस फ़क़ीर ने इन समस्त आमलियात
की ज़कात अदा की है।
मैं ब्रह्मांड की सृष्टि के लिए इस रूहानी कृपा को
सामान्य करता हूँ और सैय्यदुना हज़ूर (P.U.H.B.) के माध्यम से प्रार्थना करता हूँ कि अल्लाह तआला मेरी
इस कोशिश को स्वीकार्यता प्रदान करें, अपने भक्तों को
स्वास्थ्य प्रदान करें, और उन्हें कठिनाइयों, संकटों और परेशानियों से सुरक्षित रखें।
आमीन, सुम्मा आमीन।