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ईर्ष्यालु व्यक्ति या शत्रु की हानि से सुरक्षित रहने हेतु






फ़ज्र की नमाज़ अदा करने के पश्चात या रात्रि में शयन से पूर्व, प्रारंभ और अंत में ग्यारह-ग्यारह बार दुरूद शरीफ़ के साथ,




सौ (100) बार पाठ कर हृदय (सीने) पर फूंक मारें। इंशा अल्लाह, ईर्ष्यालु व्यक्तियों और शत्रुओं की बुरी प्रवृत्तियों से रक्षा होगी।

यह साधना केवल आवश्यकता पड़ने पर ही करने की अनुमति है। हमारी ओर से केवल उस स्थिति में इसकी स्वीकृति है जब यह प्रमाणित हो जाए कि कोई व्यक्ति शत्रुता रखता है।

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रोहानी इलाज-आध्यात्मिक चिकित्सा(Roohani ilaj)

ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी

समर्पण

हज़ूर सरवर-ए-ब्रह्मांड (P.B.U.H.) की सेवा में

 

संदेह और अनिश्चितता के तूफ़ान से उत्पन्न लगभग दो सौ बीमारियों और समस्याओं को एकत्र कर इस पुस्तक में उनका समाधान प्रस्तुत किया जा रहा है।

पुस्तक "रूहानी इलाज" में जितने भी रोगों के उपचार और समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए गए हैं, वे सभी मुझे सिलसिला ओवैसिया, कलंदरिया, अज़ीमिया से स्थानांतरित हुए हैं, और इस फ़क़ीर ने इन समस्त आमलियात की ज़कात अदा की है।

मैं ब्रह्मांड की सृष्टि के लिए इस रूहानी कृपा को सामान्य करता हूँ और सैय्यदुना हज़ूर (P.U.H.B.) के माध्यम से प्रार्थना करता हूँ कि अल्लाह तआला मेरी इस कोशिश को स्वीकार्यता प्रदान करें, अपने भक्तों को स्वास्थ्य प्रदान करें, और उन्हें कठिनाइयों, संकटों और परेशानियों से सुरक्षित रखें।

आमीन, सुम्मा आमीन।