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यह रोग का बुरा संकेत है। निम्नलिखित तावीज़ 10 बार लिखे जाएं। एक तावीज़ को मोम से लपेटकर गले में डाला जाए और बाकी नौ तावीज़ों को एक-एक करके सुबह नंगे पेट पानी से धोकर रोगी को पिलाया जाए। पिलाने वाले तावीज़ को कागज पर पीले रंग की स्याही से लिखा जाए या प्लेट पर लिखा जाए। दोनों ही स्थितियों में लाभ होगा।
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मनुष्य में दो दिमाग काम करते हैं। लेकिन ये दोनों दिमाग एक साथ पूरी तरह सक्रिय नहीं रहते। एक दिमाग हमेशा दबा रहता है और दूसरा प्रबल होता है। यदि किसी कारण से प्रबल और दबा रहने की प्रक्रिया प्रभावित हो जाए तो ज़वाल के बाद बेहोशी के दौरे आने लगते हैं। इसका इलाज यह है:
रोगी को चाहिए कि दौरे के समय से आधा घंटा पहले आरामदेह बिस्तर पर लेट जाए और "या हफ़ीज़" का वर्त करता रहे। यदि नींद आ जाए तो सो जाए। "या हफ़ीज़" का वर्त इस समय तक किया जाए जब तक दौरा न पड़ जाए। लेकिन दौरा पड़ने के बाद भी एक घंटे तक बिस्तर पर ही रहें। इस प्रक्रिया की अवधि 40 दिन है।
रोहानी इलाज-आध्यात्मिक चिकित्सा(Roohani ilaj)
ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी
समर्पण
हज़ूर सरवर-ए-ब्रह्मांड
(P.B.U.H.) की सेवा में
संदेह और अनिश्चितता के तूफ़ान से उत्पन्न लगभग दो सौ
बीमारियों और समस्याओं को एकत्र कर इस पुस्तक में उनका समाधान प्रस्तुत किया जा
रहा है।
पुस्तक "रूहानी इलाज" में जितने भी
रोगों के उपचार और समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए गए हैं, वे सभी मुझे सिलसिला ओवैसिया, कलंदरिया, अज़ीमिया से
स्थानांतरित हुए हैं, और इस फ़क़ीर ने इन समस्त आमलियात
की ज़कात अदा की है।
मैं ब्रह्मांड की सृष्टि के लिए इस रूहानी कृपा को
सामान्य करता हूँ और सैय्यदुना हज़ूर (P.U.H.B.) के माध्यम से प्रार्थना करता हूँ कि अल्लाह तआला मेरी
इस कोशिश को स्वीकार्यता प्रदान करें, अपने भक्तों को
स्वास्थ्य प्रदान करें, और उन्हें कठिनाइयों, संकटों और परेशानियों से सुरक्षित रखें।
आमीन, सुम्मा आमीन।