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स्त्रियों का सौंदर्य, मातृत्व एवं शारीरिक संरचना उनके स्तनों के उचित विकास से गहराई से संबद्ध है। स्तनों का गदाज़ (सुडौल एवं मृदु) होना स्त्री-पुरुष भेद का एक प्राकृतिक संकेतक भी है। जिन स्त्रियों के स्तनों का पूर्ण विकास नहीं होता, वे जैविक एवं सौंदर्यात्मक दृष्टि से असंतोष का अनुभव कर सकती हैं। इस प्राकृतिक संतुलन की प्राप्ति हेतु सूरह अत-तीन की प्रथम आयत
Wa at-Tīn wa az-Zaytūn
وَالزَّيْتُونِ
को प्रतिदिन रात्रि में शयन से पूर्व 100 बार पढ़कर स्तनों पर फूँक मारें तथा निर्वाक (बिना बोले) सो जाएँ। यह प्रक्रिया 90 दिनों तक निरंतर अपनाएँ। साथ ही, तीन माह तक प्रतिदिन 60 ग्राम (एक छटांक) पनीर का सेवन करें।
रोहानी इलाज-आध्यात्मिक चिकित्सा(Roohani ilaj)
ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी
समर्पण
हज़ूर सरवर-ए-ब्रह्मांड
(P.B.U.H.) की सेवा में
संदेह और अनिश्चितता के तूफ़ान से उत्पन्न लगभग दो सौ
बीमारियों और समस्याओं को एकत्र कर इस पुस्तक में उनका समाधान प्रस्तुत किया जा
रहा है।
पुस्तक "रूहानी इलाज" में जितने भी
रोगों के उपचार और समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए गए हैं, वे सभी मुझे सिलसिला ओवैसिया, कलंदरिया, अज़ीमिया से
स्थानांतरित हुए हैं, और इस फ़क़ीर ने इन समस्त आमलियात
की ज़कात अदा की है।
मैं ब्रह्मांड की सृष्टि के लिए इस रूहानी कृपा को
सामान्य करता हूँ और सैय्यदुना हज़ूर (P.U.H.B.) के माध्यम से प्रार्थना करता हूँ कि अल्लाह तआला मेरी
इस कोशिश को स्वीकार्यता प्रदान करें, अपने भक्तों को
स्वास्थ्य प्रदान करें, और उन्हें कठिनाइयों, संकटों और परेशानियों से सुरक्षित रखें।
आमीन, सुम्मा आमीन।