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शय्या-मूत्र (बिस्तर में पेशाब करना)


कुछ परिस्थितियों में बालक एक विशिष्ट आयु तक शय्या-मूत्र (बिस्तर में मूत्र त्याग) करते रहते हैं। इसका उपचार इस प्रकार किया जाए कि जब बालक गहरी निद्रा में हो, तब उसके शिरोपार्श्व (सिरहाने) की ओर संयत स्वर में, जिससे उसकी निद्रा भंग न हो, सूरah अल-बक़रah की प्रारंभिक आयत

المٓ ذَٰلِكَ الْكِتَابُ لَا رَيْبَ فِيهِ هُدًى لِّلْمُتَّقِينَ الَّذِينَ يُؤْمِنُونَ بِالْغَيْبِ

Alif-Lām-Mīm, Zālikal-kitābu lā rayba fīhi hudan lil-muttaqīn, alladhīna yu’minūna bil-ghayb.

 तक, इक्कीस (21) दिनों तक प्रति रात्रि पाठ करें।

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रोहानी इलाज-आध्यात्मिक चिकित्सा(Roohani ilaj)

ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी

समर्पण

हज़ूर सरवर-ए-ब्रह्मांड (P.B.U.H.) की सेवा में

 

संदेह और अनिश्चितता के तूफ़ान से उत्पन्न लगभग दो सौ बीमारियों और समस्याओं को एकत्र कर इस पुस्तक में उनका समाधान प्रस्तुत किया जा रहा है।

पुस्तक "रूहानी इलाज" में जितने भी रोगों के उपचार और समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए गए हैं, वे सभी मुझे सिलसिला ओवैसिया, कलंदरिया, अज़ीमिया से स्थानांतरित हुए हैं, और इस फ़क़ीर ने इन समस्त आमलियात की ज़कात अदा की है।

मैं ब्रह्मांड की सृष्टि के लिए इस रूहानी कृपा को सामान्य करता हूँ और सैय्यदुना हज़ूर (P.U.H.B.) के माध्यम से प्रार्थना करता हूँ कि अल्लाह तआला मेरी इस कोशिश को स्वीकार्यता प्रदान करें, अपने भक्तों को स्वास्थ्य प्रदान करें, और उन्हें कठिनाइयों, संकटों और परेशानियों से सुरक्षित रखें।

आमीन, सुम्मा आमीन।