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पीलिया या (Jaundice)


यह रोग यकृत (जिगर) की खराबी के कारण होता है। विभिन्न अनुभवों से यह सिद्ध हुआ है कि इस रोग के उपचार में तावीज़, गंडा और दम-दुआ अधिक प्रभावी हैं।

 

ऊपर उल्लेखित तावीज़ को लिखकर रोगी के गले में डालें।

बसखपरा एक प्रकार की स्वयं उगने वाली घास है। इसे जमीन खोदकर इसकी जड़ें निकालें, फिर पानी से धोकर एक अंगूठे के बराबर काटकर रख लें। अब रोगी के कद के बराबर कच्चे सूत के इक्कीस या इकतालीस नाप लेकर चार तहों में लपेट लें। बसखप्रे की एक जड़ को एक गांठ में लपेटकर एक बार

Iyaka nabudu wai iyaka nastayeen

पढ़कर उस पर फूंक मारें और गांठ कसकर बांध दें। इसी तरह इक्कीस जड़ों में इक्कीस गांठें लगाकर रोगी के गले में डालें। जैसे-जैसे रोग समाप्त होगा, यह गंडा बढ़ता जाएगा। पीलिया समाप्त होने पर इस गंडे को पीठ की ओर से निकालकर बहते हुए पानी में डाल दें।

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रोहानी इलाज-आध्यात्मिक चिकित्सा(Roohani ilaj)

ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी

समर्पण

हज़ूर सरवर-ए-ब्रह्मांड (P.B.U.H.) की सेवा में

 

संदेह और अनिश्चितता के तूफ़ान से उत्पन्न लगभग दो सौ बीमारियों और समस्याओं को एकत्र कर इस पुस्तक में उनका समाधान प्रस्तुत किया जा रहा है।

पुस्तक "रूहानी इलाज" में जितने भी रोगों के उपचार और समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए गए हैं, वे सभी मुझे सिलसिला ओवैसिया, कलंदरिया, अज़ीमिया से स्थानांतरित हुए हैं, और इस फ़क़ीर ने इन समस्त आमलियात की ज़कात अदा की है।

मैं ब्रह्मांड की सृष्टि के लिए इस रूहानी कृपा को सामान्य करता हूँ और सैय्यदुना हज़ूर (P.U.H.B.) के माध्यम से प्रार्थना करता हूँ कि अल्लाह तआला मेरी इस कोशिश को स्वीकार्यता प्रदान करें, अपने भक्तों को स्वास्थ्य प्रदान करें, और उन्हें कठिनाइयों, संकटों और परेशानियों से सुरक्षित रखें।

आमीन, सुम्मा आमीन।