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यदि स्थायी मानसिक दबाव, तंत्रिका तनाव या अन्य किसी कारण से ज़ेह्न माओफ़ हो, यानी कोई बात समझ में न आए, मानसिक या शारीरिक कार्य करते समय ज़ेह्न साथ न दे, तो ऐसी स्थिति में काली स्याही से लोबान के बहुत छोटे-छोटे टुकड़ों पर "9" का अंक लिखें और इन टुकड़ों को जलते हुए कोयले पर डालकर धूनी की तरह जलाएं।
यह प्रक्रिया ऐसी जगह करनी चाहिए जहाँ केवल रोगी हो और कोई अन्य व्यक्ति न हो, और रात का समय सबसे उपयुक्त है। धूनी लेने के बाद ध्यान करें, अर्थात अपनी आँखें बंद करके अपने दिल के अंदर देखें। ध्यान 15 मिनट से लेकर आधे घंटे तक किया जाए। इस प्रक्रिया से ज़ेह्न में ऐसी रोशनियाँ स्थानांतरित होने लगती हैं, जिससे समस्याओं का समाधान आसानी से समझ में आता है और ज़ेह्न में परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति उत्पन्न होती है।
रोहानी इलाज-आध्यात्मिक चिकित्सा(Roohani ilaj)
ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी
समर्पण
हज़ूर सरवर-ए-ब्रह्मांड
(P.B.U.H.) की सेवा में
संदेह और अनिश्चितता के तूफ़ान से उत्पन्न लगभग दो सौ
बीमारियों और समस्याओं को एकत्र कर इस पुस्तक में उनका समाधान प्रस्तुत किया जा
रहा है।
पुस्तक "रूहानी इलाज" में जितने भी
रोगों के उपचार और समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए गए हैं, वे सभी मुझे सिलसिला ओवैसिया, कलंदरिया, अज़ीमिया से
स्थानांतरित हुए हैं, और इस फ़क़ीर ने इन समस्त आमलियात
की ज़कात अदा की है।
मैं ब्रह्मांड की सृष्टि के लिए इस रूहानी कृपा को
सामान्य करता हूँ और सैय्यदुना हज़ूर (P.U.H.B.) के माध्यम से प्रार्थना करता हूँ कि अल्लाह तआला मेरी
इस कोशिश को स्वीकार्यता प्रदान करें, अपने भक्तों को
स्वास्थ्य प्रदान करें, और उन्हें कठिनाइयों, संकटों और परेशानियों से सुरक्षित रखें।
आमीन, सुम्मा आमीन।