ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी
कलंदर शऊर
अच्छी है बुरी है, दुनिया (dahr) से शिकायत मत कर। जो कुछ गुज़र गया, उसे याद मत कर। तुझे दो-चार सांसों (nafas) की उम्र मिली है, इन दो-चार सांसों (nafas) की उम्र को व्यर्थ मत कर।
(क़लंदर बाबा औलिया)
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