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जब आस्था बिगड़ जाती है, तो मन में ऐसे विचार और शंकाएँ उत्पन्न होने लगती हैं जिनमें परमात्मा, रसूल और धर्म से विमुखता का अहसास होता है, और यह विमुखता अनैच्छिक होती है। आस्था की कमजोरी और आत्म-गिल्ट (विवेक की फटकार) के कारण एक अदृश्य, गंदा फोड़ा उसके अंदर विकसित हो जाता है, जो उसे इतना अशांत कर देता है कि इसकी तुलना किसी बड़ी बीमारी से भी नहीं की जा सकती। अल्लाह तआला हमें अपनी हिफाज़त में रखें। इस कष्टकारी स्थिति से मुक्ति पाने के लिए, ताजे या धुले हुए खद्दर या बारीक कपड़े का एक कुर्ता सिलवाना चाहिए। यह कुर्ता पूरे शरीर पर एक-एक इंच लंबा हो और टखनों तक नीचे जाए। उसकी आस्तीनें भी एक-एक इंच खुली हों। फिर इस कुर्ते को पहन कर किसी अंधेरे कमरे में जाएं। (यदि कमरे में अंधेरा न हो तो उसे अंधेरा कर लिया जाए)। इस कुर्ते को पहन कर पंद्रह मिनट तक टहलें और टहलते समय निम्नलिखित आयतें पढ़ते रहें:
بِسْمِ اللَّـهِ
الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ
الْحَمْدُ لِلَّـهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ
Al-ḥamdu
lillāhi rabbi alālamīn, arRaḥmāni arRaḥīm, Māliki yawmi addīn
पंद्रह मिनट के बाद, अंधेरे में ही कुर्ता उतारकर उसे तह कर के उसी कमरे में किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें। यह कार्य तब तक किया जाए जब तक आस्था ठीक न हो जाए। केवल अंधेरा होना शर्त है।
रोहानी इलाज-आध्यात्मिक चिकित्सा(Roohani ilaj)
ख्वाजा शम्सुद्दीन अजीमी
समर्पण
हज़ूर सरवर-ए-ब्रह्मांड
(P.B.U.H.) की सेवा में
संदेह और अनिश्चितता के तूफ़ान से उत्पन्न लगभग दो सौ
बीमारियों और समस्याओं को एकत्र कर इस पुस्तक में उनका समाधान प्रस्तुत किया जा
रहा है।
पुस्तक "रूहानी इलाज" में जितने भी
रोगों के उपचार और समस्याओं के समाधान प्रस्तुत किए गए हैं, वे सभी मुझे सिलसिला ओवैसिया, कलंदरिया, अज़ीमिया से
स्थानांतरित हुए हैं, और इस फ़क़ीर ने इन समस्त आमलियात
की ज़कात अदा की है।
मैं ब्रह्मांड की सृष्टि के लिए इस रूहानी कृपा को
सामान्य करता हूँ और सैय्यदुना हज़ूर (P.U.H.B.) के माध्यम से प्रार्थना करता हूँ कि अल्लाह तआला मेरी
इस कोशिश को स्वीकार्यता प्रदान करें, अपने भक्तों को
स्वास्थ्य प्रदान करें, और उन्हें कठिनाइयों, संकटों और परेशानियों से सुरक्षित रखें।
आमीन, सुम्मा आमीन।